श्रीमद्भगवद्गीता में प्रबंधन का प्रमुख स्रोतः एक विवेचनात्मक अध्ययन
Creators
- 1. शोध विद्यार्थी, पतंजलि विष्वविद्यालय, हरिद्वार
- 2. प्रति कुलपति, पतंजलि विष्वविद्यालय, जनपद-हरिद्वार, उत्त्राखण्ड
Description
श्रीमद्भगवद्गीता ’वेदों, पुराणों तथा उपनिषदों जैसे आवश्यक प्राचीन भारतीय ग्रंथों में से एक है, जिसे प्राथमिक दिव्य
रहस्योद्घाटनों में से एक माना जाता है। श्रीमद्भगवद्गीता विभिन्न आध्यात्मिक मार्ग दिखाकर हमारा मार्गदर्शन करती है,
जिसके माध्यम से हम आत्म-ज्ञान के साथ-साथ आंतरिक शांति भी प्राप्त कर सकते हैं। पवित्र शास्त्र के रूप में
श्रीमद्भगवद्गीता की शिक्षाएँ एक तरफ आज के प्रबंधकों को उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने के लिए तैयार करती हैं और
दूसरी ओर आज की कारोबारी दुनिया में मानवीय स्पर्श के महत्व पर बल देती है। भगवद्गीता में मन का प्रबंधन, कर्तव्य
का प्रबंधन तथा आत्म प्रबंधन इन तीनों सिद्धांतों पर बल दिया है। इसमें प्रतिपादित सिद्धांत, सार्वभौमिक अनुप्रयोग प्रतीत
होते हैं तथा प्रबंधकों के लिए अपने चरित्र को ढा़ लने और अपनी प्रबंधकीय प्रभावशीलता को विकसित करने के लिए खुद
को मजबूत करने के लिए उपयोगी हैं। अपने आसपास की दुनिया के बारे में मनुष्य की समझ स्वयं की समझ के समानुपाती
होती है। इस शोध पत्र का उद्देश्य श्रीमद्भगवद्गीता में दिव्य सिद्धांतों की खोज करना है ताकि मानव पूंजी के मस्तिष्कीय
प्रबंधन और विकास के लिए इसे लागू किया जा सके। यह शोध पत्र श्रीमद्भगवद्गीता के सिद्धांतों की बुनियादी समझ
और दैनिक जीवन में इसके अनुप्रयोग को प्रबंधन तथा तनाव से निपटने के लिए एक प्रभावी उपकरण के रूप में प्रस्तुत
करता है। यह अध्ययन दर्शाता है कि कैसे ’श्रीमद्भगवद्गीता’ आधुनिक मानव समाज के जीवन को प्रभावित करती है।
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