भूमंडलीकरण और मीडिया का महत्व
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भूमंडलीकरण वह प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को जग की अर्थव्यवस्था के साथ एकरूप होना है। भूमंडलीकरण वस्तुओं, व्यक्तियों, सेवाओं और सूचनाओं का राष्ट्रीय सीमाओं के बाहर अलग रूप से संचरण ही भूमंडलीकरण कहलाता है। भूमंडलीकरण का दूसरा नाम वैश्विकरण है। सन १९९१ में भारत में नई आर्थिक नीती अपनायी गई जिससे भूमंडलीकरण की शुरुवात हुई है। भूमंडलीकरण का मतलब विभिन्न देशों के बाजारों में बेचे जानेवाली वस्तुओं के एकीकरण के माध्यम से होता है। भूमंडलीकरण के माध्यम से पूरे देश में परस्पर सहयोग और समन्वय से बाजार के रूप में कार्य करने की शक्ति को प्रोत्साहन मिलता हुआ दिखाई देता है। भूमंडलीकरण के महत्व को अंधोरेखांकित करने का प्रयास २०वी शताब्दी के अंतिम दशक में किया गया था। इसके माध्यम से ‘विश्वग्राम’ की अवधारणा का जन्म हुआ है। भारत में भूमंडलीकरण का युग विश्व व्यापार संघटन और गैट करार के बाद अधिक तेजी से बढ्ने लगा था। वास्तव में भूमंडलीकरण का संबंध व्यापार की प्रक्रिया से रहा है। वर्तमान में पूरी दुनिया एक गाँव की संकल्पना से परिवर्तित हुई है। भूमंडलीकरण के माध्यम से आर्थिक उदारीकरण, निजीकरण का विकास हुआ है साथ ही नये-नये क्षेत्रों के भी दरवाजे जैसे खुलते हुए दिखाई देते है – इनमें इंटरनेट प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, इलेक्ट्रानिक मीडिया, विज्ञापन, ई- बैकिंग आदि का विस्तार हुआ है। भूमंडलीकरणने आर्थिक क्षेत्र में जैसे प्रगति की है, वैसे ही सामाजिक, शैक्षिक, राजनीतिक, साहित्य, संस्कृति में भी हमारी निजी जिंदगी को प्रभावित करने में अहं भूमिका निभाई है ।
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