Mahishasur: Myths and Traditions-Book Review by Srija Naskar
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मनुष्य और प्रकृति के साथ साहचर्य युक्त जीवन और सभ्यता की भारतीय प्राचीन संस्कृति पर सुनियोजित और सुव्यवस्थित रणनीति के साथ वर्चस्वशाली संस्कृति ने अपना नियंत्रण कायम किया। यह वर्चस्वशाली संस्कृति मनुष्यों की बराबरी में नहीं, बल्कि उंच-नीच की धारणा में विश्वास रखती थी। बहुलांश को अधीन बनाना ही इसकी मुख्य रणनीति थी। इस वर्चस्वशाली संस्कृति को स्थापित करने व चिरस्थायी बनाने के उद्देश्य से लोगों के मानसिक बुनावट अपने अनुकूल गढ़ने के लिए वर्चस्वशाली संस्कृति के संस्थापकों ने हिंसा, षडयंत्र, छल, दमन और क्रूरता का सहारा लिया। इन सभी की मुखर अभिव्यक्ति पौराणिक मिथकों में होती है। इन मिथकों में वर्चस्वशाली संस्कृति के नायक-नायिकाओं के बरक्स प्रतिनायक-नायिकाएं भी उपस्थित है। इन मिथकों के नायक-नायिकाओं की तरह इनके प्रतिनायक-नायिकाएं भी किसी सभ्यता, संस्कृति, समाज और जीवन-पद्धति का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनकी बड़े पैमाने पर आज भी उपस्थिति है। ऐसे ही एक प्रति महानायक महिषासुर हैं। महिषासुर कौन थे, किस संस्कृति के प्रतीक पुरूष थे, कौन सी जीवन-पद्धति का प्रतिनिधित्व करते थे, क्योंकि आदिवासी, दलित और बहुजन तबके उन्हें नायक की तरह देखते हैं। आज उनकी उपस्थिति भारतीय समाज में किन-किन रूपों में हैं? ‘महिषासुर मिथक और परंपराएं’ किताब इन प्रश्नों का उत्तर देती है। साथ ही महिषासुर आंदोलन और विमर्श के विविध आयामों को खोलती है तथा सैद्धांतिकी प्रस्तुत करती है।
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'विज्ञापन - महिषासुर _ मिथक और परंपराएं' पुस्तक का परिचय.mp4
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References
- Ranjan, Pramod, editor. महिषासुर: मिथक व परंपराएं [Mahishasura: Mithak v Pramprayen].2017.
- Ranjan, Pramod, editor. महिषासुर मिथक व परंपराएं. 2017.
Subjects
- Ranjan, Pramod, 1980-
- http://id.loc.gov/authorities/names/n2018240819
- Culture conflict
- http://id.worldcat.org/fast/885099
- Hinduism and politics
- http://id.worldcat.org/fast/957169
- Book reviewing
- http://id.loc.gov/authorities/subjects/sh85015692
- Blasphemy
- http://id.worldcat.org/fast/834146