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आधुनिक हिंदी साहित्य में गजानन माधव मुक्तिबोध का स्थान: समेकित विवेचना

  • 1. महारानी महिला महाविद्यालय धौलपुर, राजस्थान, भारत

Description

तार सप्तक के पहले कवि 'मुक्तिबोध जीजिनका पूरा नाम गजानन माधव मुक्तिबोध हैहिन्दी साहित्य के ऐसे कवि हैं जिन्होंने छायावाद से काव्य रचनाएँ आरम्भ की। मुक्तिबोध भाषा विचार के लिए किसी रूढ़ियों का सहारा नहीं लिया। मुक्तिबोध की समर्थ भाषा उनके काव्य को प्राणवान बनाने में समर्थ है। आगे चलकर उन्होंने प्रगतिवादप्रयोगवाद और नई कविता की युगधाराओं से जुड़ते हुए काव्य संसार में नया प्रयोग शुरू कियाजो बहुत जल्द प्रचलन में कई कवियों की रचनाओं में दिखने लगा। इससे चरितार्थ होता है कि वे प्रगतिवादीप्रयोगवादी और विद्रोही कवि रहे हैं।

नारायण मौर्य ने उनकी रचनाओं के विषय में कहा है कि मुक्तिबोध की काव्य भाषा की बहुत बड़ी शक्ति है मुहावरों का प्रयोग। मुक्तिबोध ने अपने काव्य में केवल इनका प्रयोग ही नहीं किया अपितु नये मुहावरों की रचना भी की हैजो उनकी रचनाओं को बहुत प्रभावी बनता है। मुक्तिबोध गहन सामाजिक अनुभूतियों के जनवादी कवि रहे हैं जो सामाजिक चिन्ताओं और संवेदनाओं से जुड़कर चलने वाले कवि हैं।

उनके साहित्य के अधिकांश भाग में सामाजिक, राजनैतिकआर्थिक विसंगतियों और विद्रूपताओं पर प्रहार किया गया है। अंतर्मुखी और मार्क्सवादी विचारधारा से जुड़ने के कारण मुक्तिबोध ने फैंटेसी का प्रयोग अपने काव्य में अनेक कारणों से किया है। जीवन के यथार्थ पर मिथ्या और पाखण्ड की अनेक पर्तें जमी हैं और फैंटेसी के द्वारा वे लोगों तक अपनी बात सहज रूप से पहुँचा पाये।

प्रस्तुत शोध पत्र मुक्तिबोध को एक आधुनिक हिंदी कवि के रूप में स्थापित करता है और साथ ही उनकी सृजनशीलता का विवेचन प्रस्तुत किया है।

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आधुनिक हिंदी साहित्य में गजानन माधव मुक्तिबोध का स्थान समेकित विवेचना.pdf

Additional details

Dates

Submitted
2024-11-14
Accepted
2024-11-21

References

  • अग्रवाल, डॉ. पूनम (2016). "मुक्तिबोध: एक अवलोकन". इंटरनेशनल रिसर्च जर्नल ऑफ़ मैनेजमेंट सोशियोलॉजी एंड हयूमैनिटिज़., 7(9):79-90. चंद्रा, ज्योति (2021). "गजानन माधव 'मुक्तिबोध' का इतिहासबोध". हरियाणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय की एम. फिल. (हिंदी) उपाधि हेतु प्रस्तुत लघु शोध प्रबंध। दीपक (2017). "आज के युग में 'अँधेरे में'". इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ हिंदी रिसर्च., 3(1):4-6. दुबे, विजय कांत (2024). "शून्य, दि वॉइड बाय गजानन माधव मुक्तिबोध". रिसर्चगेट। मंजू (2019). "गजानन माधव मुक्तिबोध का काव्य शिल्प- फैंटेसी के रूप में" (Exploring the Poetry and Artistry of Gajanan Madhav Muktabodh). जर्नल ऑफ़ एडवांसेज एंड स्कॉलरली रिसर्चेज इन अलाइड एजुकेशन।16(5):309-313. संपादक (राजकमल प्रकाशन समूह). गजानन माधव मुक्तिबोध 14 Books.