Published March 25, 2024 | Version Anthology The Research
Journal article Open

बालिका शिक्षा : चुनौतियां एवं अवसर

  • 1. माँ भारती कॉलेज कुशलगढ़,राजस्थान, भारत

Description

This paper has been published in Peer-reviewed International Journal "Anthology The Research"               

 URL : https://www.socialresearchfoundation.com/new/publish-journal.php?editID=8903

Publisher : Social Research Foundation, Kanpur (SRF International)                  

Abstract :  

'शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिसका उपयोग आप दुनिया को बदलने के लिए कर सकते हैं।'

शिक्षा मानव समाज का एक अभिन्न अंग है जिसके माध्यम से मनुष्य अपने उद्देश्यों को पूरा कर सकता है। शिक्षा बच्चे को सही और गलत का अंतर सिखाती है और जानवर से इंसान बनाती है। इसलिए हर बच्चे को शिक्षित करना माता-पिता का कर्तव्य है। शिक्षा का अर्थ - बुद्धि प्लस चरित्र - यही सच्ची शिक्षा का लक्ष्य है।शिक्षा हमारे आस-पास की चीज़ों के बारे में सीखने की प्रक्रिया है। यह हमें किसी भी वास्तु स्थिति को आसानी से समझनेकिसी भी प्रकार की समस्या से निपटने और पूरे जीवन काल के विभिन्न आयामों को संतुलित करने में मदद करता है। शिक्षा सभी मनुष्यों का पहला और सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है। शिक्षा के बिना मानव जीवन अधूरा एवं बेकार है। शिक्षा लोगों को जीवन में लक्ष्य निर्धारित करने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। शिक्षा मनुष्य के ज्ञानकौशलआत्मविश्वास और व्यक्तित्व को बेहतर बनाती है। यह हमारे जीवन में दूसरों से बात करने की बौद्धिक समानता को बढ़ाता है। शिक्षा परिपक्वता लाती है और समाज की बजाय परिवेश में रहना सिखाती है। जीवन में आगे बढ़ने और सफलता हासिल करने के लिए बेहतर शिक्षा हर किसी के लिए बेहद जरूरी है। शिक्षा मनुष्य में आत्मविश्वास का विकास करती है तथा उसके व्यक्तित्व के निर्माण में सहायक होती है। जीवन में सफलता हासिल करने और कुछ अलग करने के लिए शिक्षा हर किसी के लिए जरूरी है। यह जीवन के कठिन समय में चुनौतियों का सामना करने का पाठ सीखने में बहुत मदद करता है। संपूर्ण शिक्षण प्रक्रिया के दौरान प्राप्त ज्ञान प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन के प्रति आत्मनिर्भर बनाता है। शिक्षा पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए आवश्यक है क्योंकि दोनों मिलकर एक स्वस्थ और शिक्षित समाज का निर्माण करते हैं। महिलाएँ किसी भी नागरिक समाज का अभिन्न अंग हैं। दोस्तबेटीभाभीपत्नीबहू और मां के साथ-साथ महिलाएं एक कामकाजी महिला के रूप में भी काम करती हैं। महिलाएं समाज के हर क्षेत्र में पुरुषों के लिए सुविधा प्रदाता का काम करती हैं। विश्व की पचास प्रतिशत आबादी महिलाओं की हैलेकिन इन सबके बावजूद आज भी महिला को पालन-पोषणकार्यस्थलभूमि का स्वामित्व और उच्चतम शिक्षा का अधिकार नहीं है। यह कानून सभी क्षेत्रों में महिलाओं और पुरुषों की समानता सुनिश्चित करता है। लेकिन अभी भी कई महिलाएं हैं जो नकारात्मक विचारधारासुरक्षा की चिंतापारंपरिक और सांस्कृतिक कारणों से अशिक्षित हैं। समाज का वह अभिन्न अंग आज विश्व में अपनी पहचान बनाने जा रहा है।

थरूर के शब्दों में

"आज आजादी के 65 वर्ष बाद भी 82.1 प्रतिशत पुरुष शिक्षा अनुपात की तुलना में महिला शिक्षा का अनुपात केवल 65.5 प्रतिशत ही है।"

यदि हम चाहते हैं कि भारत का सर्वांगीण विकास हो और यह विकास सतत रूप से होता रहे तो महिला शिक्षा एक गम्भीर मसला है। महिला शिक्षा के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालने की आवश्यकता है जिससे महिला व समाज के साथ-साथ देश का भी निरंतर विकास हो सके।

Files

बा लि का श क्षा चुनौ.pdf

Files (680.9 kB)

Additional details

Identifiers

ISSN
2456-4397

Related works

Is published in
Journal article: 2456-4397 (ISSN)

Dates

Submitted
2024-03-10
Accepted
2024-03-19

References

  • 1. क्रोसब्रे, एफ. जे. (1971). द इफेक्ट ऑफ फेमिली लाईफ ऍजुकेशन ऑन वेल्यू एण्ड ऐटिट्यूट ऑफ एडोल्सेन्ट. डेजरटेशन एबस्ट्रेक्ट इंटरनेशनल, 31: 5839 2. मूस, रोल्फ, इ. (1975). थ्योरिज ऑफ एडॉलसेन्स, थर्ड एडिशन. न्यूयार्कः रेन्डम हाऊस. 3. गुप्ता, एम. एण्ड गुप्ता, पी (1978). एरियाज ऑफ एडॉल्सेन्ट प्रोबल्मस एण्ड द रिलेशनसिप बिटवीन दैम. इण्डियन साइकोलॉजिकल रिव्यू, 16; 1-4. 4. मालमाविस्ट, सी.पी. (1979). डेवलेपमेन्ट फरॉम 13 टू 16 ईयरस्. इन जे.डी. नोसप्टिज (इडी), बेसिक हैण्डबुक ऑफ चाइल्ड साइकेट्री, वॉल्यूम टू न्यूयार्क : बेसिक बुकस् 5. गुप्ता, एम एण्ड गुप्ता, पी. (1980). द पैटर्न ऑफ प्रोबल्मस् ऑफ ऍडोल्शेनस गर्लस् इन अर्बन इण्डिया, एशियन जरनल ऑफ सॉइकोलॉजी एण्ड ऍजुकेशन, 6:23-31. 6. अग्रवाल, के.एल. (1986). ए स्ट्डी ऑफ द इफैक्ट ऑफ पैरेन्टल इन्करेजमेण्ट अपॉन द एजुकेशनल डेवलप्मेण्ट ऑफ द स्टूडेन्टस'. पीएच.डी. एजु., गढ़वाल यूनिव. 7. आनन्द, एस.पी. (1989). मेन्टल हैल्थ ऑफ हाईस्कूल स्टूडेन्टस इण्डियन एजुकेशनल रिव्यू (आइईआर), वाल्यू.24 (2), 14-2. 8. भाटिया, बी.डी. एण्ड चन्द्रा, आर. (1993). एडॉल्सेन्ट मदर - अन अनप्रिपेर्यड चाईल्ड, इंडियन जरनल ऑफ मेटरनल एण्ड चाईल्ड हैल्थ. जुलाई-सितम्बर; 4 (3); 67-70 9. बहेन्दे, ए.ए. (1994). ए स्टॅडी ऑफ सैक्सुअललिटी ऑफ एडॉल्सेन्ट गर्लस् एण्ड ब्वॉयज इन अंडर प्रिविलेजेड ग्रुपस् इन बॉम्ब द इंडियन जरनल ऑफ सोशियल वर्क. (अक्टूबर). 55 (4):557-572 10. मैथ्यू, ए. (1996). ऍक्सपैक्टेशन ऑफ कॉलेज स्टूडेन्टस रिगार्डिग देयर मैरिज पार्टनर. द जरनल ऑफ फैमिली वैलफेयर, XII (13):46-52 11. फूलीगनि, ए.जे. (1997). द ऐकेडमिक अचिवमेन्ट ऑफ एडॉल्सेन्टस् फरॉम इमिग्रेन्ट फैमिलीज: द रोल्स ऑफ फैमिली बैकग्राउण्ड, एटिट्यूडस, एण्ड बिहेवियर. चाइल्ड डेवलेप्मेन्ट: एबस्ट्रैक्टस एण्ड बिबिलियोग्राफी, वॉल्यू. 71 (3). पब्लिसड बॉय द यूनिव. ऑफ शिकागो प्रेस फॉर द सोसाइटी फॉर रिसर्च इन चाइल्ड डेवलेप्मेण्ट. 12. स्वदेश मोहन, (1998). बिल्डिंग पर्सनल एण्ड कॅरियर कन्सियसनैस इन गर्लस्. डिपाट. ऑफ ऍजुकेशनल सॉइकोलाजी एण्ड फाउण्डेशन ऑफ ऍजुकेशन, एनसीईआरटी, न्यू दिल्ली विकास पब्लिसिंग हाऊस. 13. केट्समबिस, एस. (2001). एक्सपैंडिंग नॉलेज ऑफ पैरेन्टल इनवॉलमेण्ट इन चिल्ड्रन्स सैकेण्ड्री एजुकेशन : कनैक्शनस विथ हाईस्कूल सिनियर्स' ऐकेडमिक सक्सेस. सोशियल सॉइकोलाजी ऑफ ऍजुकेशन, वॉल्यू. 5(2), 149-177. 39 14. नायर, एम.के. सी. एण्ड मिनी, के. पॉल. (2002). 'साइकोसोमैटिक प्रॉब्लमस् ऑफ एडॉल्सेन्ट' "फैमिली लाईफ एजुकेशन फॉर प्लस वन स्टूडेन्ट्स", टीन्स जरनल ऑफ टीनएज् केयर एण्ड प्री मेरिटल काउंन्सिलिंग, वॉल्य 2 नं. 10 एण्ड 11, जुलाई- दिसम्बर 15. फातिमा, आई. (2003). रिलेशनशिप ऑफ फैमिली क्लाइमेट टू एकेडमिक अचिवमेण्ट. एम. एड डेजरेटशन, डिपाट. ऑफ एजुकेशन, ए.एम.यू. 16. नायर, एम. के.सी., मिमी. के. पॉल एण्ड दिव्या रानी, वी.वी. (2003). "एडॉल्सेन्ट सॉइकोलॉजिकल इश्यूज, पीर ग्रुप ऍडजेसमेन्ट, सैल्फ इवैल्यूशन एण्ड फैमिली प्रॉब्लमस्" टीन्स जरनल ऑफ टीनएज् केयर एण्ड प्री मेरिटल काउंन्सिलिंग, वॉल्य 3 नं. 12, जनवरी-मार्च,. 17. साण्डस, टी. एण्ड प्लनकैट, एस. डब्लू. (2005). ए न्यू स्केल टू मेजर एडॉलसेन्ट रिपोर्टस ऑफ अकेडमिक सपोर्ट बॉय मदर्स, फॉदर्स, टीचर्स एण्ड फ्रेण्डस इन लेटिनो इमिग्रेन्ट फैमलीज, हिस्पेनिक जरनल ऑफ बिहेवियरल साइन्सेज, वॉल्य. 27 (2), 244-253. 18.खानम, आर. (2006). फैमिली क्लाइमेट एज ए कोरिलेट ऑफ अकेडमिक अचिवमेण्ट ऑफ मेल एण्ड फिमेल स्टूडेन्टस् एट द सेकेण्डरी स्कूल लेवल. एम.एड. डैजरटेशन. एएमयू, अलीगढ़ पीपी: 10, 11, 13, 15. 19.अयोध्या, पी. (2007). इमोशनल प्रॉब्लमस् इन सेकेण्डरी स्कूल चिल्ड्रन एण्ड इट्स रिलेशन टू लाईफ इवेन्ट्स एण्ड स्कोलस्टिक अचिवमेन्ट, जरनल ऑफ कम्यूनिटी गाइडेन्स एण्ड रिसर्च, वाल्यू. 24 (3). 347-355. 20.यूवाइफो, वी.ओ. (2008). द इफैक्टस् ऑफ फैमिली स्ट्रक्चर एण्ड पेरेन्टहुड ऑन द अकेडमिक परफॉरमेन्स ऑफ नाईजेरियन यूनिर्वसिटी स्टूडेन्ट्स डिपार्टमेन्ट ऑफ वोकेशनल एण्ड टेक्निकल ऍजुकेशन, एमब्रोज अली यूनिर्वसिटी, एकपोमा, एडो स्टेट, नाईजीरिया. 21. कौर, जे. एटॉल. (2009). होम एन्वॉयरमेन्ट एण्ड अकेडमिक अचिवमेण्ट एज कोरिलेटस् ऑफ सेल्फ- कॉन्सेप्ट अमंग एडॉल्सेन्टस डिपार्टमेण्ट ऑफ एजुकेशन, पंजाब यूनिवर्सिटी, पटियाला, पंजाब, इण्डिया. 22. वेले, आर. एस. एण्ड कॉम्बैल, जे.एल. (2010). अचिवमेन्ट गोल्स ऑफ एडॉल्सेन्ट फिगर स्केटर्स : इम्पैक्ट ऑन सैल्फ कॉन्फिडेन्स, एन्जॉयटी, एण्ड परफॉरमेन्स, मियामी यूनिव 23. www.arc-worldwide.org यह बेवसाइट भारत की किशोरियों की रिपोर्ट प्रदान करती है 1 24. www.samuha.org - यह स्वयंसेवी संस्था है जो नई दिल्ली में किशारों के लिए कार्य करती है। 25. www.uksocialwelfare.org.in - यह वैब पोर्टल समाज कल्याण विभाग उत्तराखण्ड के लिए कार्यरत है। 26. www.unicef.org - यह वेबसाइट बच्चों के लिए है जो बच्चों और किशोरों से संबंधित प्रायोजित परियोजनाओं, मॉडलस और कार्यक्रमों की जानकारी उपलब्ध कराती है। 27. बी.एससी., बी.एड., एम.ए. (इतिहास एवं शिक्षाशास्त्र), पीएच.डी. शोधार्थी/ शिक्षक, हिमगिरी जी विश्वविद्यालय, देहरादून / बेसिक शिक्षा, उत्तराखण्ड। 28. एसोसिएट प्रोफेसर, शिक्षा विभाग, हिमगिरी जी विश्वविद्यालय, देहरादून, उत्तराखण्ड।