कैलीग्राफी के क्षेत्र मैं डिजिटल तकनीक का प्रयोग
- 1. प्रोफेसर एवं शोध निर्देशिका, विभागाध्यक्षा, चित्रकला विभाग, बैकुंठी देवी कन्या महाविद्यालय, आगरा
- 2. शोध-छात्रा (ड्राइगं एण्ड पेटिंग) बैकंुठी देवी कन्या महाविद्यालय, आगरा डाॅ0 भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा।
Description
कैलीगा्र फ एक अक्षर कला है, जिसे हम चित्रात्मक लिपि भी कहते है। प्रागैतिहासिक काल से वर्तमान तक इस कला के स्वरूप मंे अनेक परिवर्तन हुए हैं। जहंॅा पहले इस कला को हाथां े के द्वारा रूपंाकित किया जाता था, वही वर्तमान मंे कम्प्यूटरीकरण के दौर ने इस कला के रूप का े और अधिक अलंकारिक व उत्कृष्ट बना दिया है। पहल े कला संबधी केवल पाॅच हजार साइट्स ही उपलब्ध थी, वही ं वर्तमान मंे इनकी संख्या कितनी लाख है इसका अंदाजा लगा पाना बहुत मुश्किल है। मुद्रण के दौर मे यह कला आकाश की नई ऊॅचं ाईयांे को छू रही हैं। शादी के कार्ड, बैनर, नमे प्लेट आदि कार्य कम्प्यूटर के माध्यम से कुछ ही समय मंे पुर्ण हा े जाता है व इसकी अनेकांे प्रतियांॅ भी प्राप्त कर सकते हंै जो इस तकनीक के माध्यम से ही संभव हा े पाया है। कला के क्षेत्र मंे सृजनात्मक चित्रां े की दृष्टि से कलाकार डिजिटल तकनीक के माध्यम से निरंतर नए प्रयोग कर रहे है, जिसमंे चित्रात्मक लिपि वाले चित्र भी सम्मिलित ह ै वर्तमान समय मंे अनेक ऐसे कलाकार है, जो इस क्षेत्र मं े कार्य कर रहे है। उन्हांने े इस तकनीक के माध्यम से अपने चित्रांे को नया ही स्वरूप प्रदान किया है जो दर्शनीय है। कला मं े आज डिजिटल कैलीग्राफी चित्र एक नया आयाम स्थापित कर रहे हंै। व्यवसायिकता एवं रचनात्मकता की दृष्टि से ये चित्र वर्तमान समय की आवश्यकता भी है
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Identifiers
- ISSN
- 2348-3318
References
- शरण, डाव्म् राधे- '' प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व '' पृष्ठ सं 426, राधा पब्लिकेशन 4378/4ठ
- यादव, नरंेन्द्र सिहं '' विज्ञापन तकनीन एवं सिद्धांत '' पृष्ठ सं 9, राजस्थान हिन्दी गं्रथ अकादमी, जयपुर (2010)
- यादव, नरंेद्र सिह ं - ''ग्राफिक डिजाइन'' पृष्ठ संख्या 253, राजस्थान हिन्दी गं्रथ अकादमी, जयपुर (2019) 4 वहीः- पृष्ठ सं 258